पंडित सुलभ शान्तु गुरू

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Sulabh Shantu Guru
 
Sulabh Shantu Guru

पंडित सुलभ शान्तु गुरू जी महाराज श्री का जन्म मंहाकालेश्वर की नगरी उज्जैन में 3 दिसम्बर सन् 1982 को हुआ था। इनके पिता श्री का नाम पं शान्तु गुरू जी शर्मा और माता श्री का नाम श्रीमती चिन्तामणी शर्मा था। महाराज श्री ने अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी की और इन्जीनियर कॉलेज में प्रवेश लिया।

बाल्य काल से ही इनकी रूचि धार्मिक ग्रंथों को पढ़ने में रही और 11 वर्ष की आयु में इन्होने सुन्दर काण्ड प्रारंभ किया और 21 साल की आयु में इन्होंने श्री रामचरितमानस पर आधारित श्री हनुमान चरित्र एवं सुन्दर काण्ड की व्याख्या कर एक अलग ही पहचान बनाई है। पूज्य महाराज श्री आध्यात्मिक हिन्दू धर्मोपदेशक हैं, जो श्री रामचरितमानस पर धाराप्रवाह व्याख्यान देते हैं। उनकी श्री रामकथा सुनने भारी संख्या में श्रोता पहुँचते हैं। महाराज श्री ने अपनी कथा और प्रवचनों के जरिए कोशिश की है कि युवा वर्ग श्री राम कथा को श्रवण कर अपने जीवन में उसका अनुसरण करें ,महाराज श्री का प्रयास है कि लोगों को आध्यात्मिकता के रास्ते पर चलने के लिए हमेशा प्रेरित करते रहे, रामचिरत मानस की चौपाइयों के अर्थ और उनके भीतर छुपे भावों को मौजूदा संदर्भों में जोड़कर महाराज श्री अपने श्रोताओं को बांध लेते हैं।

सम्पूर्ण मालवा में श्री सुलभ शान्तु गुरू के नाम से मशहूर महाराज श्री अद्वितीय कथाव्यास हैं और उनके सुमधुर भजनों की धुनों में सभी कथाप्रेमी भाव विभोर हो जाते है। उनके भजन और कथावाचन का देश विदेश के लाखों लोग समय समय पर रसपान करते रहते हैं। महाराज श्री के पिता पंडित श्री शान्तु गुरू जी बेहद संत एवं सरल स्वभाव के थे ऐसे में संत प्रवृत्ति और साहित्य, भजन के प्रति उनकी अभिरूचि उन्हें विरासत में मिली। महाराज श्री अपनी कथा और भजनों से रामभक्तों और सामान्य जनों को जीवन के नए सूत्र दे रहे हैं। महाराज श्री साधारण असाधारण युगपुरुष हैं, जो आकर्षक एवं श्रद्धेय व्यक्तित्व, शुचिता, सम्पन्न भाषा तथा मृदुवाणी एवं स्पष्ट वैचारिक द्दढ़ता से युक्त समाजसेवी उपदेशक एवं समाजोन्मुखी वातावरण के प्रवर्तक हैं। महाराज श्री अपनी दिव्यवाणी और लोकरुचि वाली अभिव्यक्ति के लिए प्रभु प्रेमियों में आदर से सुने जाते हैं। जीवन के हर क्षेत्र पर महाराज श्री का विश्लेषण अद्भुत और अनुकरणीय है। वे जीवन की समस्याओं का हल अपने प्रवचनों के माध्यम से सहजता से देते हैं। भक्ति, परमात्मा प्राप्ति और ज्ञानार्जन के विषय में उनके दिए सूत्र अद्वितीय हैं।महाराज श्री के हज़ारों अनुयायी हैं जो उनके दिशा निर्देश का अनुपालन करते है