Rajiv Dikshit infomation

राजीव दीक्षित जी की प्रामाणिक जानकारी


राजीव दीक्षित का जन्म :1 दिसंबर रात्रि 2:30 बजे अलीगढ़ के नाह गांव

पिता का नाम :राधेश्याम दीक्षित

माता जी का नाम :मिथिलेश कुमारी दीक्षित

भाई: प्रदीप दीक्षित

बहन : लता दीक्षित

गुरु :धर्मपाल जी

पत्नी :उमा दीक्षित दिल्ली


राजीव दीक्षित का जीवन परिचय

यूं तो राजीव दीक्षित का क्रांति सफर शुरू हुआ 1984 में भोपाल गैस कांड से ।तब वे विद्यार्थी थे आयु लगभग 18 वर्ष।हम सबको याद है कि भोपाल गैस कांड हुआ था जिसमें न जाने कितने लोगों की मौत हो गई थी और जो बच गए थे वो अर्ध विक्षिप्त हो गए ,लकवा हो गया अंधे हो गए ,विकलांग हो गए .. बात इतनी सी ही नहीं थी कि गैस लीक हुई थी बल्कि ये एक प्रयोग किया गया था कि यदि गैस का रिसाव होता है तो उसके क्या क्या परिणाम होंगे ।उसी दौरान राजीव दीक्षित ने वहां घूम घूमकर सब तहकीकात की ओर पाया कि ये एक षड्यंत्र के तौर पर कांड किया गया है ।जिसमें बेकसूर लोगों ने जानें गंवा दी तो जिंदा लोग लाश बनकर रह गए ।

बस इतना ही काफी था कि राजीव दीक्षित ने कोर्ट जाने का फैसला किया ।

राजीव दीक्षित का साथ देने के लिए 7 लोग और तैयार हो गए ।फिर कोर्ट में केस चला ।दलीलें हुईं ।2009 में जाकर इस केस का फैसला आया ।25 वर्ष का लंबा समय लगा किन्तु राजीव दीक्षित केस हार गए भारत के भ्रष्ट नेताओं के कारण ।

इस बीच राजीव दीक्षित शिक्षा प्राप्त करते रहे ।और फिर एक बार धर्म पाल जी का व्यख्यान उनके कॉलेज में हुआ ।उन्होंने भारत की काफी ऐतिहासिक जानकारियां साझा की ।किन्तु वो जानकारियां राजीव दीक्षित के हिसाब से सच न लगी ।और राजीव दीक्षित का धर्मपाल जी से संवाद हुआ ।किन्तु राजीव दीक्षित ने तब भी विश्वास नहीं किया उन तथ्यों पर जो धर्म पाल जी ने दिए ।तब राजीव दीक्षित को धर्मपाल जी ने कहा कि यदि सच में भारत का इतिहास जानना है तो इंग्लैड जाओ वहां की लाइब्रेरी में भारत का असली इतिहास लिखा गया था जब अंग्रेज भारत पर राज कर रहे थे ।इन्हीं अंग्रेजों ने भारत के विषय में लिखा है जो इंग्लैंड में आज भी मिल सकता है बस जरूरत है तो वहां जाकर अध्ययन की ।

इस तरह राजीव दीक्षित इंग्लैंड पहुंच गए और कुछ समय तक अध्ययन किया साथ ही उन प्रामाणिक तथ्यों को छिपकर फोटोकॉपी करवाया ,जो कि इतना आसान काम नहीं था ।इस काम में धर्मपाल जी व उनकी धर्म पत्नी ने सबसे अधिक योगदान दिया ।कहते हैं कि धर्मपाल जी विवाह नहीं करना चाहते थे किंतु एक महिला ने भारत के असली इतिहास से उनको परिचित करवाया और विवाह की शर्त रखी ।धर्मपाल जी ने उस महिला से विवाह किया और असली दस्तावेज प्राप्त किये ।धर्मपाल जी राजीव दीक्षित की प्रतिभा से वाकिफ थे ।धर्म पाल जी ने राजीव दीक्षित को कहा कि अब तुम असली इतिहास से भारत को परिचित करवाओ।

राजीव दीक्षित का एक नया अध्याय आरंभ हुआ --वो लेक्चर देने लगे ।इसी बीच वो आजादी बचाओ आंदोलन संस्था के संपर्क में आये । अब उस संस्था के अंतर्गत राजीव दीक्षित अपनी प्रतिभा बिखेरने लगे ,किन्तु राजीव दीक्षित की ख्याति से संस्था के लोगों में ईर्ष्या पनपने लगी ।और वह प्रतिभा राजीव दीक्षित ओर आजादी बचाओ आंदोलन के बीच एक रोड़ा बन गई ।कुछ समय बाद राजीव दीक्षित पर गबन का आरोप लगाया गया ।और ये काम किसी और ने नहीं बल्कि आजादी बचाओ आंदोलन के कुछ कार्यकर्ताओं ने ही लगाया था ।ये ट्रस्ट काफी समय से काम कर रही थी ।अब राजीव दीक्षित पर लाखों रु के गबन का आरोप था ।जिसका राजीव दीक्षित से तो कोई लेना देना नहीं था किंतु राजीव दीक्षित के पिता और छोटे भाई का जरूर कुछ हाथ था । ऐसा बताया गया।प्रमाणिकता का दावा लेखक नहीं करता।

एक समय आया कि राजीव दीक्षित apj अब्दुल कलाम वैज्ञानिक के साथ CSIR में काम करने लगे थे ।तब APJ अब्दुल कलाम जी देश के राष्ट्रपति नहीं थे।

किन्तु भाग्य ने वहां भी साथ नहीं दिया और राजीव दीक्षित को वह संस्था भी छोड़नी पड़ी

धीरे -2राजीव दीक्षित स्वदेशी से स्वावलंबी भारत ।,सम्पूर्ण आजादी का सपना देखने लगे

कम उम्र में ही राजीव दीक्षित ने भारत के स्वतंत्रता सेनानियों को पढ़ना शुरू कर दिया था । राजीव दीक्षित की अध्ययन में गहरी रुचि थी और अपनी जेब खर्च का 80% वो अखबारों ,पत्रिकाओं पर ही खर्च कर देते थे ।अध्ययन के दौरान ही वह ये भी जान गए थे कि भारत में 15 अगस्त 1947 को आजादी आई ही नहीं थी ये तो केवल सत्ता का हस्तांतरण हुआ था गोरे अंग्रेजो से गद्दार भारतीय काले अंग्रेजो को।

सभी कानून व्यवस्था वैसे ही आजादी के बाद चली जैसे गुलामी के शासन काल में चला करती थी ।

इस दृष्टि से भारत कभी आजाद ही नहीं हुआ था ।अब राजीव दीक्षित ने ठान लिया कि वो अब असली आजादी लाएंगे व देश का जो खरबों रु विदेशी बैंकों में काले धन के रूप में जमा होता जा रहा है उसको वापिस लाकर राष्ट्र की संपत्ति घोषित करेंगे तथा देश को फिर से सोने की चिड़िया बनाएंगे

राजीव दीक्षित के जीवन पर गांधी जी का प्रभाव स्पष्ट ही उनके व्याख्यानों में दिखाई देता है किंतु भगत सिंह,राम प्रसाद बिस्मिल,अशफाक उल्ला खां ,लक्ष्मी बाई कित्तूर चेन्नमा ।दुर्गावती ,मंगल पांडे,सुभाषचन्द बोस भी उनके आदर्श थे ।

2009 में रामदेव ने राजीव दीक्षित के साथ मिलकर एक ट्रस्ट के गठन किया था जिसका नाम था -"भारत स्वाभिमान"

इस गठन से लगभग 10 ,12 वर्ष पूर्व रामदेव राजीव दीक्षित के संपर्क में आये थे और समय समय पर चर्चा करते थे कि कैसे कैसे देश को फिर से आजादी दिलाकर सोने की चिड़िया बनाया जा सकता है ,इसी कार्यकाल में रामदेव ने काफी ख्याति योग गुरु ,व आयुर्वेद चिकित्सा के रूप में अर्जित की थी ।इतना ही नहीं रामदेव के पास इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का साथ भी मजबूत था ।प्रतिदिन रामदेव के कार्यक्रम आस्था चेनल पर आते थे ।

भारत व भारत के बाहर भी आस्था चेनल लोकप्रिय हो चुका था ।

कुछ ज्ञात सूत्रों से पता चलता है कि राजीव दीक्षित रामदेव को व्यापारी मानते ओर कहते थे ,संत तो मानते ही नहीं थे ।इसलिए वो रामदेव के साथ कभी मंच साझा नहीं करते थे ।

किन्तु समय ने ऐसी करवट ली कि राजीव दीक्षित काफी हताश निराश हो गए थे ।20,25 वर्ष संघर्ष करके भी वो देश को असली आजादी नहीं दिला पाए ।तब रामदेव ने राजीव दीक्षित को कई प्रकार से मनाया समझाया कि आस्था चेनल पर राजीव दीक्षित के विस्फोटक भाषण का प्रसारण जैसे 2 होगा ,देश में क्रांति की लहर उठेगी ।और ये वो समय था जब राजीव दीक्षित ने मन मार कर रामदेव के भारत स्वाभिमान को स्वीकार कर काम करने की प्रतिज्ञा ली ।

पतंजलि योगपीठ हरिद्वार में 5 जनवरी 2009 को राजीव दीक्षित व रामदेव ने भारत स्वाभिमान की स्थापना की और राजीव दीक्षित पतंजलि योगपीठ हरिद्वार में रहने लगे ।

शुरू में तो सब ठीक ठीक चल रहा था किंतु राजीव दीक्षित की जिंदगी ने एक और मोड़ ले लिया पतंजलि योगपीठ में राजीव दीक्षित का एक दिल्ली निवासी महिला से मिलना हुआ ।उन दोनों में देश के लिए कुछ वार्तालाप हुआ ।

कहते हैं कि राजीव दीक्षित के अंतर्मन को उस महिला ने झकझोर कर रख दिया--फिर राजीव दीक्षित ने किसी न किसी तरह उस महिला से मिलने की योजना बनाई ।लगभग महीने भर बाद राजीव दीक्षित उस कन्या के घर गए ।वहां कुछ दिन रहे और वार्तालाप को आगे बढ़ाया यहां तक तो बात ठीक थी किन्तु उस कन्या से विवाह का प्रस्ताव रख दिया ।कन्या पक्ष ने कोई आपत्ति नहीं कि ।किन्तु राजीव दीक्षित ने कुछ शर्त रखी थी कि विवाह को अभी सार्वजनिक नहीं करेंगे ।सही समय पर एक बड़ा कार्यक्रम करके घोषणा करेंगे ।इस तरह उमा नाम की कन्या से राजीव दीक्षित ने विवाह कर लिया ।समय समय पर राजीव दीक्षित अपने ससुराल जाते तथा वहां कुछ समय पत्नी के साथ व्यतीत करते ।

इसी तरह समय बीतता गया और राजीव दीक्षित के आस्था पर आने वाले सभी लेक्चर्स ने धूम मचानी शुरू कर दी ।राजीव दीक्षित का कद रामदेव से बहुत ऊंचा उठता जा रहा था ,जिसकी कल्पना रामदेव ने पहले नहीं कि थी।अगर की होती तो वो राजीव दीक्षित को आस्था चेनल का मंच न देता।अब एक ही रास्ता था –- किसी ऐसे षड्यंत्र से राजीव दीक्षित को रास्ते से हटाना जिस में किसी प्रकार कोई खतरा न हो ।रामदेव ने राजीव दीक्षित को छत्तीसगढ़ लेक्चर देने के बहाने से भेजा । बस वहीं पर अनूप बंसल ओर दया सागर को इस षड्यंत्र में मुख्य रूप से लगाया ।

छत्तीसगढ़ में उनको धीमा जहर दिया जा रहा था जिससे उनकी तबियत खराब होने लगी 29 नवंबर को दोपहर में उनका व्याख्यान बेमेतरा में हुआ तब भी उनकी तबियत ठीक नहीं थी।उसी दिन शाम को 3.30 pm पर दूसरा व्याख्यान होना था किंतु राजीव दीक्षित जी की तबियत ज्यादा खराब होने लगी । और उनको सही हॉस्पिटल में न लेजाकर ये घटिया हॉस्पिटल में ले जाया गया ताकि ज्यादा से ज्यादा समय बिना सही इलाज के नष्ट होता गया ।3.30 pm से लेकर उनको भिलाई इस्पात हॉस्पिटल सेक्टर 9 में रखा गया जहाँ इलाज की कोई सुविधा ही नहीं थी ।और जब राजीव दीक्षित जी की सांसें उखड़ गई ओर लगभग मृत हो गए तब लीपा पोती करने के लिए अपोलो हॉस्पिटल ले जाया गया जहां आधे घण्टे में ही राजीव दीक्षित जी को मृत घोषित कर दिया गया ।30 नवंबर को पतंजलि योगपीठ में राजीव दीक्षित जी के शव को लाया गया ।वहां उनका नीला शरीर देखकर लोगों ने पोस्ट मार्टम की मांग रखी पर रामदेव ने पोस्टमार्टम नहीं होने दिया और आनन फानन में शव जला दिया ताकि सब सबूत नष्ट किये जा सकें ।राजीव दीक्षित जी की धर्म पत्नी ने काफी प्रयास किये और जांच शुरू करवाई।किन्तु कुछ समय बाद उस जांच को बन्द कर दिया गया जानबूझकर।