कोशी के राजा को कोशी नदी कहा जाता है । कोशी बिहार का शोक भी कहा

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ब्रिटिश सरकार ने तटबंध नहीं बनाने का फ़ैसला इसलिए किया था क्योंकि अगर तटबंध टूटेगा तो क्षति होगी और उसकी भरपाई करना ज़्यादा मुश्किल साबित होगा।

लेकिन आज़ादी के बाद भारत सरकार ने नेपाल के साथ समझौता कर के 1954 में तटबंध बनाने का फ़ैसला किया। तटबंध बनाकर नदी की धारा को नियंत्रित दिशा दी गई।

तटबंध का महत्व छत्र महाखड्ड के आर-पार बरका क्षेत्र में स्थित बाँध बाढ़ पर नियंत्रण रखता है। बाढ़ के मैदानों में सिंचाई की सुविधा प्रदान करता है। पनबिजली उपलब्ध कराता है । मछली पालन केंद्रों को आधार प्रदान करता है। कोसी बेसिन की बलुआ मिट्टी में व्यापक पैमाने पर मक्का की खेती की जाती है। लंबे समय से कोसी नदी अपनी विनाशकारी बाढ़ों के लिए कुख्यात रही है, क्योंकि इसका पानी चौबीस घंटो में नौ मीटर तक बढ़ जाता है। उत्तरी बिहार के विशाल क्षेत्र तक निवास या कृषि के लिए असुरक्षित हो जाते हैं पर तटबंध की मद्द से इसे बचाया गया है। तटबंध की क्षमता तटबंध बनाते समय अभियंताओं ने अनुमान किया था कि यह नौ लाख घन फ़ुट प्रति सेकेंड (क्यूसेक) पानी के बहाव को बर्दाश्त कर सकेगा और तटबंध की आयु 25 वर्ष आँकी गई थी

जाता है।[1]

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  1. ^ kumar, pramod (23-11-2016). [pramod "nakta"]. pramod. .com. Retrieved 23-11-2016. {{cite web}}: Check |url= value (help); Check date values in: |access-date= and |date= (help)