दिनेश कुमार तिवारी (एल.एल.बी.)जन्म कौवाताल मे उच्च बराह्मण कुल १९८६ मे हुआ, पिता का नाम श्री गौतिया गजपति लाल तिवारी है।माता श्रीमती पूर्णिमा तिवारी है.तीन भाइयो और एक बहन मे सबसे छोटे के कारण मा का दुलारा है,उन्हे भी मा अच्छी लगती है। बचपन मे १ से १५ वर्ष तक मा के आचल मे था। मा का पल्लू पकड़ के मामा का घर भी चले जाते.बाप का कोरा (गोदी) भी यादगार समय था.बचपन मे शर्मीला स्वभाव का था,गाओ के लोग उन्हे दीनू भाई भी कहते है। बचपन मे भाई के साथ घर के पुवाल (स्टॉक ऑफ ग्रास) मे मूंगफली भूंजने के लिये आग लगा दिये थे,लेकिन पिता जी गुस्सा नहीं हुये थे। उस समय भारत मे गरीबी थी लेकिन पिता जी अच्छे ही है,जो बच्चो पर गुस्सा नहीं करते थे। एक बार बाप के हाथ से मार खाने का सौभाग्य मिला है सभी भाई बहन आज भी हसते है लेकिन उस दिन हसने के कारण पापड़ का सुवाद मिला. बड़े भाई से दर लगता है क्योकि ओ बहुत मेरे से बहुत बड़ा है. मंझला भाई तो मेरा भाई दोस्त सब है सब बात शेर कर सकता हु. हम एक साथ पढ़ाई करने स्कूल और कॉलेज मे गये,जब ओ ८ क्लास मे था मई ६ मे एंटर किया,जब ओ १२ मे था मई ९ मे एंटर किया.ओ मुझे बहुत पसंद है.हम साथ साथ बचपन मे रहते थे लेकिन आज भी साथ ही घूमते फिरते है. साइकल मे बैठना स्कूल जाना हमेशा यादगार है. मुझे मेरे गुरुजन भी सब अच्छे से याद है.पिटान खाना तो मजे की बात हो गयी उस समय गुस्सा हो जाता था लेकिन अभी अच्छा लगता है। ५ क्लास के रिज़ल्ट से मई सन्तुस्त नहीं था मुझे लगा की मुझे काम अंक दिया गया है,मई मासूम था लेकिन बदमाशी भी हो जाता है। बहन मेरी ओपन माइंड की है उसके साथ हम बहुत लड़ते झगते मगर अच्छा लगता था आज भी अच्छा ही लगता है. पीपल के पेड़ और गर्मी का मौसम बाहर मे आसमान के नीचे सोना और तारे देखना दिल मे बस गया है।यादगार।

सब को लगता था मई कुच्छ बनूगा लेकिन अफसोस मई कुच्छ भी नही बन पाया. 

१२ डिसेंबर २००७ को सिंघल एंटरप्राइज़स प्र्वेट लिमिटेड मे काम शुरू. और ओडिया समझना और देखना और अनेक स्टेट के लोगो से बात करना सुभारंभ. १५ जुलाइ २०१ से श्याम मेटालिक्स आंड एनर्जी लिमिटेड मे काम.