राधे राधे पं.श्रीहरिकृष्णशास्रीजी का जन्म मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में हुआ था। और शास्त्री जी अपने माता पिता के इकलौते ही पुत्र हैं। बचपन से ही शास्त्री जी को भगवत भक्ति वेद शास्त्रों में काफी रुचि रही और जब यह चौथी और पांचवी क्लास में पढ़ते थे, तब तो अपने पिताजी के साथ श्री रामचरितमानस का पाठ किया करते थे, और भगवान शिव की आराधना किया करते थे । धीरे धीरे कर के समय बीतता गया और जब शास्त्री जी 13 वर्ष की अवस्था में पहुंचे तो मात्र 13 वर्ष की आयु में उन्होंने एक जगह अखंड रामायण में श्री राम स्तुति सुनाई जिससे बहुत से लोग प्रभावित हुए और उन्होंने शास्त्री जी के पिताजी से कहा कि आप इन्हें संस्कृत पढ़ाईये, संस्कृत विद्यालय में उनका एडमिशन करा दीजिए बस फिर क्या था 13 वर्ष की आयु में ही वह वेद शास्त्रों के अध्यन में लग गए और 17 18 वर्ष की उम्र में वेद शास्त्रों में पारंगत हुए संगीत में श्रीमद्भागवत कथा में पारंगत हुए और शास्री जी संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा करते हैं अनुष्ठान आदि करते हैं। वाराणसी में उन्होंने संस्कृत का अध्ययन किया है वाराणसी के अलावा और भी कई संस्कृत विद्यालयों में अध्यन किया है ।