फ्रांस की क्रान्ति क्यों हुई ?

जब कोई क्रांति , कोई आंदोलन या कोई युद्ध होता है तो उसके पीछे कोई न कोई कारण अवश्य होता है। कुछ ऐसी सामाजिक एवं आर्थिक परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं जिनकी कारण क्रांति की पृष्ठभूमि बनती है। तो आइये देखते हैं कि फ्रांस में ऐसी कौन सी परिस्थितियां बनी जिनके कारण जनता ने क्रांति की ।

लुई XVI के शासनकाल में फ्रांस ने अमेरिका के 13 उपनिवेशों को साझा शत्रु ब्रिटेन से आजाद कराने में सहायता दी थी। इस युद्ध के चलते फ्रांस पर 10 अरब लिव्रे से अधिक का कर्ज जुड़ गया। जबकि उस पर पहले से 2 अरब लिव्रे का बोझ चढा हुआ था। फ्रांसीसी सरकार पर अब 12 अरब लिब्रे का कर चढ़ चुका था। कर्जदाता सरकार से 10% ब्याज की मांग करने लगे थे। फलस्वरूप फ्रांसीसी सरकार अपने बजट का बहुत बड़ा हिस्सा दिनोंदिन बढ़ते जा रहे कर्ज को चुकाने के लिए देने पर मजबूर थी।

इसलिए फ्रांसीसी सरकार ने सेना के रख - रखाव , राजदरबार, सरकारी कार्यलयों या विश्वविद्यालय को चलाने में होने वाले खर्चों के लिए जनता से लिये जाने वाले करो में वृद्धि की सोची।

यहाँ पर यह बात ध्यान देने योग्य हैं कि 18 वीं सदी का फ़्रांसिसी समाज तीन वर्गो में बंटा था। केवल तीसरे वर्ग के लोग कर देते थे।

● प्रथम वर्ग - पादरी वर्ग

● द्वितीय वर्ग - कुलीन वर्ग

●तृतीय वर्ग - बड़े व्यवसायी, व्यापारी , अदालती कर्मचारी, वकील आदि। किसान और कारीगर। छोटे किसान भूमिहीन मजदूर नौकर।

कुलीन वर्ग एवं पादरी वर्ग को अन्य विशेषाधिकार भी प्राप्त थे। पादरी वर्ग धार्मिक कर भी तृतीय वर्ग के लोगो से वसूल करता था।

फ्रांस की जनसंख्या सन 1717 में 2.3 करोड़ थी जो 1789 में बढ़कर 2.8 करोड़ हो गयी। अनाज के उत्पादन की तुलना में उसकी मांग बढ़ी। लोगों के मुख्य खाद्य पाव रोटी की कीमत में वृद्धि हुई। मजदूरों की मजदूरी मंहगाई की बढ़ती दर के हिसाब से बहुत कम थी। मजदूरी नही बढ़ रही थी। रोजी रोटी का संकट उत्पन्न हुआ।

ऐसे समय मे लुई XVI द्वारा राज्य के खर्चों को पूरा करने के लिए फिर से कर लगाए जाने की खबर से जनता में विशेषधिकार वाली व्यवस्था के विरुद्ध गुस्सा भड़क उठा।