Dr. Rahul Awasthi

डॉ. राहुल अवस्थी हिन्दी काव्यमंचों पर आज सफल संचालक और वीर रस की आग्नेय प्रस्तुतियों के लिये प्रसिद्ध हैं किन्तु गीतात्मकता ही उनकी रचनाधर्मिता का मूल रहा है. बहुत कम समय में ही साहित्यिक पटल पर अपनी सार्थक पहचान पाने वाले डॉ. अवस्थी को उनकी विशिष्ट गद्य-शैली के लिए जाना जाता है. समीक्षा और सम्पादन के लिए उनका लेखन एक माडल रच रहा है जिसे आने वाले समय में एक स्कूल के तौर पर देखे जाने की बात कही जा रही है. बेहद संघर्षों से जूझते जाने और आने का प्रभाव उनकी लेखन शैली पर स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है. बिना किसी ख़ास खाँचे-खेमे में फिट होते हुए भी आगे चलते जाने की उनका सृजनात्मक जुझारूपन गाडफादरीय गैन्गिज्म को अंगूठा दिखाता है और शायद यही उनकी मौलिक विशिष्टता का प्राणतत्त्व.