मैं वहाँ पहुँचा
और डर गया
मेरे शहर के लोगों
यह कितना भयानक है
कि शहर की सारी सीढियाँ मिलकर
जिस महान ऊँचाई तक जाती हैं
वहाँ कोई नहीं रहता
- केदारनाथ सिंह